Search

बसपा की रैली पर रहेगी सियासत के सूरमाओं की नज़र

Share Now :

WhatsApp
284 Views

सिकंदराबाद: वर्तमान मे लोकसभा सीट गौतमबुद्ध नगर का चुनाव बहुत रोचक दौर से गुजर रहा है। भाजपा लगातार दो बार इस सीट पर जीत दर्ज कर हैडट्रिक बनाने के लिए बेताब है। भाजपा के प्रत्याशी डॉ.महेश शर्मा ने अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है। भाजपा को अपने परंपरागत वोट बैंक को संजोने मे पसीने छूट रहे हैं।
वहीं सपा भी जीत दर्ज करने को आतुर है। सपा प्रत्याशी डॉ.महेंद्र नागर का भी सघन प्रचार जारी है। वे भी पार्टी के वोटो के साथ-साथ नोएडा सहित सभी जगह जनसंपर्क मे मशगुल हैं। 2009 मे विजेता रही बसपा इस बार जीत का इतिहास दोहराने की जुगत मे है। बसपा ने एक बार फिर अपनी सोशल इन्जीनियरिंग का बेहतर नमूना पेश किया है। उसने काग्रेस और भाजपा मे अपनी सियासत के रंग दिखा चुके ठाकुर बिरादरी के तेज तर्रार राजेंद्र सोलंकी को प्रत्याशी बनया है। राजेन्द्र सोलंकी अपनी बिरादरी का झुकाव अपनी ओर करने मे कामयाब लग रहे हैं। वहीं उनकी नजर भाजपा से नाराज या निराश वोट बैंक पर भी है। साथ ही पुराने कांग्रेसी रहे सोलंकी मुस्लिम वोट पर असरदार साबित हो सकते हैं।

हालांकि भाजपा से सूबे के मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ और सपा के मुखिया अखिलेश यादव रैलिया कर चुके हैं।दोनो नेताओ की रैलियों मे जुटी भीड़ और उनके नेताओं द्वारा अपने वोट बैंक को साधने मे कोई कोर कसर बाकी नही रखी गई है।

वहीं आगामी 22 अप्रैल को बसपा की भी रैली है। जिसमे परम्परागत वोट बैंक के अलावा दूसरे वोट बैंको पर बसपा की पैनो नज़र है। इस बार अपने परम्परागत वोट बैंक के साथ-साथ,अगडे, पिछड़े,और मुस्लिम वोटो के दम पर बसपा भी कोई नया गुल खिलाने की जुगत मे है।
सोमवार को सम्पन्न होने वाली रैली अहम है। जिसको बसपा प्रमुख सम्बोधित करेंगी। अब देखना है कि कगजी सियासी गणित को बसपा प्रमुख किस हद तक अपनी पार्टी के पक्ष मे कर पाती हैं। यूं तो दलीय और निर्दलीय सभी प्रत्याशी अपने प्रचार मे जुटे हैं, मगर भाजपा प्रचार मे सभी संसाधनो का भरपूर इस्तमाल कर रही है। राजनैतिक जानकारो का मानना है कि इस बार आम मतदाता मौन है।जो सभी दलों के लिए चिंता का विषय है। खासकर भाजपा के लिए। अपने ठाकुरों वोट बैंक को लेकर भाजपा मे बेचैनी है। उसे ठाकुरों मे बिरादरीवाद फैल जाने का डर भी सता रहा है। और यह डर वाजिब भी है कि उसका परम्परागत वोट बसपा के साथ चले जाने पर परिणाम अप्रत्याशित भी हो सकते हैं।उधर मुस्लिम वोट सपा का माना जाता है। जबकि उसके एक जुट होकर बसपा के साथ चले जाने की सम्भावना बलवती है। जिससे भाजपा का बना बनाया खेल बिगडने के चांस बढ सकते हैं। वहीं भाजपा नाराज कई छोटे वोट बैंको को भी साधने की पुरजोर कोशिश कर रही है।

सियासी सूरमाओं का मानना है कि बसपा की रैली इस चुनाव मे निर्णायक सिद्ध हो सकती है, बसपा प्रमुख ठाकुर , मुस्लिम् और गूजर वोट बैंक को साधने मे सफल हो जाती हैं तो चुनाव परिणाम चौंकाने वाले हो सकते हैं।
मतदान मे अभी पांच रोज बाकी हैं और चुनाव के हर रोज नई करवट लेने के आसार से भी इन्कार नही किया जा सकता है।

 

Spread the love

Published On

Leave a Comment