राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम सिकंदराबाद अपील
1. भारत में दुनिया के सबसे अधिक / ज्यादा टीबी रोगी हैं।
2. टीबी रोगी की जांच और इलाज सभी सरकारी अस्पतालों में मुफ्त होता है।
3. टीबी आमतौर से फेफड़ों में होती है, लेकिन शरीर के अन्य अंगों में भी फैल
सकती है। टीबी के लक्षण हैं-
1) 2 हफ्ते से ज्यादा खांसी
2) बुखार
3) रात में पसीना आना
4) मुंह से खून आना
5) सीने में दर्द
6) सांस लेने में तकलीफ
7) वजन कम होना
8) भूख न लगना
9) थकान
10) गर्दन में गिलटी / गांठे
4. इन लोगो को टीबी की सम्भावना ज्यादा होती है-
1) 60 साल से ज्यादा उम्र वाले लोग
2) कुपोषित / कमजोर लोग
3) डायबिटीज रोगी
4) धूम्रपान एवं नशा करने वाले
5) इलाज प्राप्त कर रहे टीबी रोगियों के साथ रहने वाले
6) इलाज पूरा कर चुके टीबी रोगी
7) एच0आई0वी0 ग्रसित व्यक्ति
8) मलिन बस्तियों आदि
अतः जब भी कोई स्वास्थ्यकर्मी आपके यहां आये तो सारी जानकारी दें।
5. यह बीमारी हवा से फैलती है, इसलिए टीबी के रोगी को इधर-उधर खांसना,थूकना, छीकना नहीं चाहिए, बल्कि जब भी ऐसा हो तो मुंह पर रूमाल जरूर
लगाना चाहिए। टीबी छूने से नहीं फैलती, और न ही यह किसी वर्ग, धर्म या जाति तक सीमित है। इसे छुपाने के बजाय इलाज कराने की जरूरत है।
6. यदि शुरू से ही सही और पूरा इलाज किया जाये तो यह बीमारी पूरी तरह से ठीक हो सकती है। टीबी के एक रोगी का इलाज न करवाया जाये तो 01
साल में 15 नये मरीज बना सकता है।
7. टीबी रोगी के साथ रहने वाले लोगो की जांच करानी चाहिए कि उन्हें टीबी रोग तो नहीं है क्योकि उनमें टीबी होने की सम्भावना ज्यादा होती है। उन्हे
टीबी रोग से बचाने के लिए दवा दी जाती है।
8. अच्छा पोषण / खुराक लेने से यह बीमारी जल्दी ठीक होती है. इसे ध्यान में रखते हुए रोगी / मरीज को नवम्बर 2024 से रू0 1000 प्रतिमाह की दर से
जमा किये जा रहे है।
9. रोगी / मरीज को भावनात्मक/ जजबाती सहारा देने के लिए समाज से निःक्षय मित्र दानकर्ता के रूप में आगे आयें। अभी तक प्रदेश / सूबे में 44 हजार से
अधिक निःक्षय मित्रों ने 3.5 लाख से ज्यादा पोषण पोटली दी हैं। रोगी को पोषण पोटली में एक-एक किलो गुड़, चना, मूंगफली, तिल, सत्तू, प्रोटीन पाउडर आदि दिया जाता है।
10. टीबी रोग की गम्भीरता को 100 दिनों का एक विशेष 07 दिसम्बर, 2024 से 24 मार्च, समझते हुए इसके उन्मूलन / खात्मे के लिए अभियान / मुहिम चलाया जा रहा है जो 2025 तक चलेगा।
11. इस अभियान में जल्दी टीबी रोग की पहचान, टीबी से होने वाली मृत्यु में कमी लाना और नये टीबी रोगी न बनने देने का प्रयास / कोशिश हम सबको
मिलकर करनी है।
12.इंस अभियान में जिन लोगो को टीबी की सम्भावना ज्यादा होती है उन्हे विशेष तौर से ढूंढ़ कर उनमें टीबी रोग तो नही है, यह पता किया जाता है। टीबी रोग निकलने पर पूरा इलाज दिया जाता है और टीबी रोग न निकलने पर टीबी से बचाव का इलाज पूरा दिया जाता है, यह पूरी सुविधा मुफ्त है।
13. टीबी की जल्दी जांच, जल्दी इलाज, जल्दी पोषण/खुराक, जल्दी बचाव करके हम अपने जिले से टीबी रोग को खत्म कर सकते है।
14. इस अभियान में आप सभी की भागीदारी समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का एक शक्तिशाली / मजबूत माध्यम / कड़ी बन सकती है।
15. धर्म हमें सेवा, प्रेम, और परोपकार का पाठ पढ़ाता है। आइए, मिलकर टीबी मुक्त समाज बनाने में अपनी भूमिका निभाएं जिससे अगली पीढ़ी टीबी मुक्त
हवा में सांस ले सके। यह अभियान तभी सफल होगा, जब हर व्यक्ति टीबी को हराने की इस लड़ाई में साथ देगा।
टी०बी० एक संक्रामक बीमारी है, जिसका इलाज सम्भव है ।
1. यदि किसी को 02 सप्ताह से अधिक खाँसी हो ।
2. बलगम में खून आता हो।
3. थकान होती हो ।
4. साँस लेने में तकलीफ होती हो।
5. रात में पसीना आता हो ।
6. बजन कम हो रहा हो।
7. भूख कम लगती हो ।
8. गर्दन में गाँठ / गिल्टी हों ।
9. किसी को बाँझपन हो।
10. सीने में दर्द रहता हो ।
11. शाम के समय बुखार आता हो।
में से कोई भी लक्षण हो तो वो अपने नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र पर जाकर अपनी निःशुल्क जाँच करायें एवं यदि उस व्यक्ति को टी०बी० की बीमारी पाई जाती है तो स्वास्थ्य केन्द्र पर निःशुल्क टी०बी० का उपचार कराये, एवं साथ ही इलाज के दौरान प्रतिमाह रू1000 निःक्षय पोषण योजना के अन्तर्गत मिलेंगें । जनपद का कोई भी निवासी, समाज सेवी संस्था उपचार ले रहे टी0बी0 रोगियों को निःक्षय मित्र बनकर गोद लेकर उनको इलाज के दौरान प्रतिमाह पोषण वितरण कर सकते हैं, जिसमें मरीज जल्द से जल्द स्वस्थ हो जाये ।