सिकंद्राबाद: भीषण गर्मी 44-45 पार पारा और तेज गर्म हवाओ के थपेडे आम जनजीवन के लिए भारी मुसीबत बनकर कहर बरफा रहा है। प्रकृति से अभी राहत के आसार दूर नज़र आ रहे हैं। लेकिन कुछ प्रबुद्ध नागरिक थोड़ी बहुत राहत की आस नगर पालिका से लगा रहे हैं। जबकि संसाधन मौजूद होने के बावजूद भी पालिका प्रशासन इस परेशानी और अपने दायित्व से आंखे मूंदे बैठा है। आसमान से बरसते आग के शोले से राहगीरो को राहत की खातिर जगह-जगह छबीलें लगाकर पानी, शरबत, ठंडाई का वितरण कर काफी लोग अपना योगदान दे रहे हैं।कुछ लोग पंखे कूलर चला कर जनता को राहत देने के लिए प्रयास कर रहे हैं। लेकिन इस सब से विपरीत पालिका प्रशासन अपने उपलब्ध संसाधन का इस्तमाल कर राहगीरो के लिए राहत कार्य करने को तैयार नही है। शो पीस बनकर रह गयी हैं एंटी स्मॉग गन भीषण गर्मी से जीना दुश्वार हो रहा है गर्मी के तेवर तल्ख दिखाई दें रहे हैं। जिससे लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। भीषण गर्मी में सबसे अधिक परेशानी मार्गों से दोपहर के समय पैदल जाने वाले लोगों, बाइक सवारों, ई-रिक्शा सवारों आदि को हो रही है। गर्मी से उनके पसीने छूट रहे हैं। उधर गर्मी से कुछ राहत दिलाने को लेकर नगर पालिका की एंटी स्मॉग गन शो पीस बनी हुई है जोकि हाइवे स्थित एक पेट्रोल पंप पर महीनों से खड़ी हुई है।
नगर पालिका अधिकारी इस विषय में चैन की नींद हो रहे है। कोई भी नगर पालिका द्वारा भीषण गर्मी से राहत दिलाने के लिए प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। पिछले कुछ महीनों से नगर पालिका द्वारा एंटी स्मॉग गन को सड़क पर उतारा तो गया मगर यह मशीन ईदगाह का सामने बने पेट्रोल पंप पर शो पीस बनकर खड़ी हुई है। जिसके द्वारा मार्ग से निकलने वाले राहगीरों को भीषण गर्मी से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा नगर में भी गर्मी से राहत दिलाने के लिए पानी के टैंकर से कोई छिड़काव नहीं किया जा रहा है। लगता है नगर पालिका अधिकारियों का इसस तरफ कोई भी ध्यान नहीं है।
ये है एंटी स्मॉग गन
एंटी स्मॉग गन को स्प्रे गन,धुंध गन या वाटर कैनन भी कहा जाता है। यह आसमान में फैले धुंध के कणों को हटाने का काम करती है। इसका उन जगहों पर प्रयोग किया जाता है, जहां प्रदूषण खतरनाक स्तर पर फैला होता है। एंटी स्मॉग गन एक तरह से एक मशीन है, जो नेबुलाइज्ड पानी की बारीक बूंदों का हवा में छिडक़ाव करती है। इसे पानी के टैंक से जोड़ा जाता है और हाई-प्रेशर प्रोपेलर के जरिए 50 से 100 माइक्रोन की छोटी बूंदों को हवा में फेंका जाता है। इससे धूल और प्रदूषण के कण अवशोषित होने लगते हैं।
कैसे काम करती है एंटी स्मॉग गन
स्मॉग गन में हाई स्पीड पंखा लगा होता है। मशीनों को इस तरह डिजाइन किया गया है कि इन्हें ऑन करने के बाद पंखे की मदद से पानी की बौछार हवा में की जाती है। हवा में फैले प्रदूषण के कणों को पानी की बौछार से जमीन पर लाया जाता है। इन मशीनों से 2.5 माइक्रोन तक के खतरनाक कणों को भी कम किया जा सकता है। यह मशीनें करीब 150 फीट की ऊंचाई से लेकर 100 मीटर तक लंबाई तक पानी की बौछार कर प्रदूषण को कम कर सकती हैं।