सिकंदराबाद: शहर में अवैध अतिक्रमण एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है। नगर पालिका ने शहर के छह प्रमुख स्थानों को ‘नो वेंडिंग जोन’ घोषित किया था, ताकि इन क्षेत्रों में अवैध दुकानों और ठेलों को रोका जा सके। इसके लिए संबंधित जगहों पर बोर्ड लगाए गए थे, जिनमें स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि इन स्थानों पर किसी भी प्रकार का व्यापार या दुकान संचालन प्रतिबंधित रहेगा।
बोर्ड पहले उखाड़े,अब पूरी तरह गायब
लेकिन हाल ही में देखा गया कि ये बोर्ड पहले उखाड़ दिए गए और अब पूरी तरह से गायब हो चुके हैं। नतीजा यह हुआ कि अवैध कब्जाधारियों ने इन क्षेत्रों में फिर से दुकानें लगाना शुरू कर दिया है। जिससे न केवल यातायात प्रभावित हो रहा है, बल्कि सार्वजनिक स्थानों पर गंदगी भी बढ़ रही है।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि जब ‘नो वेंडिंग जोन’ बनाए गए थे, तब उन्हें उम्मीद थी कि इससे सड़कों पर अतिक्रमण रुकेगा और यातायात व्यवस्था में सुधार होगा। लेकिन नगर पालिका द्वारा इन क्षेत्रों की निगरानी में ढील देने के कारण अतिक्रमणकारियों का मनोबल बढ़ गया। अब हालात यह हैं कि अवैध दुकानदार खुलेआम नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं और नगर पालिका इस पर कोई ध्यान नहीं दे रही है।
नगर पालिका की लापरवाही और अवैध कब्जाधारियों का मखौल
नगर पालिका में अब यह ‘नो वेंडिंग जोन’ केवल कागजों तक ही सीमित रह गए हैं। इन क्षेत्रों में दुकानें फिर से लग गई हैं, ठेले-खोमचे वाले भी पहले की तरह अपना व्यापार कर रहे हैं। नागरिकों का कहना है कि अगर प्रशासन ने समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया, तो यह प्रयास पूरी तरह से विफल हो जाएगा।
निवासियों और व्यापारियों की प्रतिक्रिया
अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। शहर के एक व्यापारी का कहना है,
“जब यह जोन घोषित किए गए थे, तब हमें उम्मीद थी कि ट्रैफिक की समस्या कम होगी, लेकिन अब सबकुछ पहले जैसा हो गया है। नगर पालिका को इस पर तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।”
प्रशासन की उदासीनता और संभावित समाधान
नगर पालिका द्वारा इस पूरे मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं करने से नागरिकों में नाराजगी बढ़ रही है। कुछ का मानना है कि नगर पालिका को तुरंत इन बोर्डों को पुनः स्थापित करना चाहिए और नियमित रूप से निगरानी करनी चाहिए। इसके अलावा, अवैध वेंडिंग रोकने के लिए नगर पालिका को सख्त कदम उठाने चाहिए, जिससे शहर की व्यवस्था बनी रहे और नागरिकों को राहत मिले।
अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या नगर पालिका इस मामले पर ध्यान देगी या फिर ‘नो वेंडिंग जोन’ केवल कागजों तक ही सीमित रह जाएंगे?