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महाशिवरात्रि 2025 तिथि एवं समय
हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि में महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है।
- चतुर्दशी तिथि प्रारंभ: 26 फरवरी 2025, सुबह 11:08 बजे
- चतुर्दशी तिथि समाप्त: 27 फरवरी 2025, सुबह 08:54 बजे
इस बार महाशिवरात्रि 26 फरवरी, बुधवार को मनाई जाएगी। शिवपूजन विशेष रूप से रात्रिकाल में किया जाता है, जिससे यह पर्व और अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है।
महाशिवरात्रि 2025 पूजा के शुभ मुहूर्त
- सुबह पूजा: 6:57 AM से 9:42 AM
- दोपहर पूजा: 11:06 AM से 12:35 PM
- सायंकाल पूजा: 3:25 PM से 6:08 PM
- निशिता काल पूजा (रात्रि मध्यकाल): 12:27 AM से 12:59 AM (27 फरवरी)
रात्रि में चार पहर की पूजा का समय:
- पहला प्रहर: 6:43 PM – 9:47 PM (26 फरवरी)
- दूसरा प्रहर: 9:47 PM – 12:51 AM (27 फरवरी)
- तीसरा प्रहर: 12:51 AM – 3:55 AM
- चौथा प्रहर: 3:55 AM – 6:50 AM
व्रत पारण का समय: 27 फरवरी, सुबह 6:59 AM से 8:54 AM
महाशिवरात्रि का महत्व और पूजा विधि
महाशिवरात्रि भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग स्वरूप की पूजा का विशेष पर्व है। इस दिन शिवलिंग का अभिषेक करने से सभी कष्ट दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
महाशिवरात्रि व्रत और पूजन विधि:
- सुबह स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें और शिवलिंग की स्थापना करें।
- पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और गंगाजल) से शिवलिंग का अभिषेक करें।
- बेलपत्र, धतूरा, भांग, सफेद फूल, चावल, और चंदन भगवान शिव को अर्पित करें।
- रात्रि में चार पहर की पूजा करें और शिवपुराण का पाठ करें।
- शिवलिंग पर ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें।
- महादेव को केसर युक्त खीर, मिठाई और फल अर्पित करें।
- हवन में बेलपत्र, जौ, तिल, और घी अर्पित करें।
शिवजी को प्रसन्न करने के उपाय
- शिवलिंग पर जल, दूध, पंचामृत से अभिषेक करें।
- रुद्राभिषेक करें: ग्रह बाधा नाश के लिए सरसों के तेल से अभिषेक करें।
- शिवजी को सफेद वस्त्र और सफेद फूल चढ़ाएं।
- रातभर दीप जलाकर शिव मंत्रों का जाप करें।
- सात्विक आहार ग्रहण करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- शिवजी को भोग में फल, मिठाई, मेवे और खीर अर्पित करें।
महादेव के तीन स्वरूप
- महादेव (ज्योतिर्लिंग स्वरूप – ब्रह्म, परमात्मा)
- सदाशिव (पंचमुखी, दुर्गा माता के पति)
- शंकर (कैलाशवासी, गंगाधर, सती और पार्वती के पति)
महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग स्वरूप की विशेष पूजा करने से सभी देवताओं की पूजा का फल प्राप्त होता है।