सिकंदराबाद। क्षेत्र के गावं भराना के नर्मदेश्वर आश्रम में चल रही श्री मदभागवत कथा में तीसरे दिन ज्ञानयज्ञ समारोह में वृदावन से आये आचार्य राकेश कृष्ण शास्त्री ने कहा कि पगडंडियों में न भटकें जीवन एक वन है जिसमें फूल भी हैं और काटे भी हैं। जिसमें हरी-भरी सुरम्य घाटियाँ भी है और ऊबड़-खाबड़ जमीन भी है।
बता दें कि 5दंडी स्वामी काशी से आये हैं। उनका प्रवास आश्रम पर 11 दिन का हैं। कथा की पूर्ण आहुति हवन व भंडारा 25 मई 2024 को होगा।आचार्य ने कहा अधिकतर वनों में वन्य पशुओं और वनवासियों के आने जाने से छोटी मोटी पगडंडियाँ बन जाती हैं। सुव्यवस्थित दिखते हुए भी यह जंगलों में जाकर लुप्त हो जाती हैं। आसानी और शीघ्रता के लिए बहुधा यात्री इन पगडंडियों को पकड़ लेते हैं तथा वह सही रास्ते से भटक जाते हैं। जीवन वन भी ऐसी ही पगडंडियों से भरा है जो बहुत हैं। छोटी दिखती हैं पर गंतव्य स्थान तक पहुँचती नहीं हैं। जल्द बाज पगडंडियाँ ही ढूँढते हैं किंतु उनको यह मालूम नहीं होता कि यह अंत तक नहीं पहुँचती और जल्दी काम होने का लालच दिखाकर दलदल में फँसा देती हैं। पाप और अनीतिका मार्ग जंगल की पगडंडी मछली की वंशी और चिड़ियों के जाल की तरह हैं अभीष्ट कामनाओं की जल्दी से जल्दी अधिक से अधिक मात्रा में पूर्ति हो जाए। इस लालच से लोग वह रास्ता पकड़ते हैं जो जल्दी ही सफलता की मंजिल तक पहुँचा दे। जल्दी और अधिकता दोनों ही वांछनीय हैं पर उतावली में उद्देश्य को नष्ट कर देना तो बुद्धिमता नहीं कही जाएगी। जीवन वन का राजमार्ग “सदाचार” और धर्म है। उस पर चलते हुए लक्ष्य तक पहुँचना समय साध्य तो है पर जोखिम उसमें नहीं है।
इस मोके पर सीता सरण महाराज, पंडित आशीष उपाध्याय, जगत प्रधान, प्यारे लाल, राज कुमार खटाना, धर्मेंद्र प्रधान, रामगोपाल, चंदर, शिव कुमार शर्मा, हरीश चंद भाटी, सतीश, जितेंद्र खटाना उर्फ़ जीते, तेजू, सुनील टेंट वाले समस्त पदाधिकारी उपस्थित रहे। कथा प्रसाद व्यवस्था में अनिल, अरविन्द, रोहित, राजू, लाला, मोंटी, कुश, तनिस आदि का विशेष सहयोग रहा।