नोटबंदी की तरह गोहत्या भी बंद करे सरकार
लिव-इन रिलेशनशिप के चलन के खिलाफ मुखर होकर बोले कथावाचक
ईश्वर के विधान को सही मानना ही ईश्वर की सच्ची भक्ति है
सिकंदराबाद: भागवत कथा के छठवें दिन स्वामी अनिरुद्ध आचार्य ने चरित्र को मूल्यवान बताते हुए कहा की रावण वेदों का ज्ञाता था तथा उसमें सभी शक्तियां और गुण विद्यमान थे फिर भी दूषित चरित्र के कारण आज उसका पुतला फूका जाता है। जबकि राम चरित्रवान थे मर्यादा पुरुषोत्तम थे उन्होंने चरित्र को कहीं भी नहीं डिगने दिया। उन्होंने चरित्र की रक्षा की इसके कारण वह राम से भगवान राम बन गए और सर्वत्र पूजनीय है। उन्होंने कहा आज का युवा चरित्र के मामले में बहक गया है जो उसकी कामयाबी मे रूकाबट ला रही है। उन्होंने कहा चरित्र को संजोकर रखिए इसका मूल्य पैसे से नहीं आंका जा सकता चरित्रवान की हर समय हर परिस्थिति में हर मुसीबत में विजय होती है।

आचार्य ने दान की महिमा का भी विस्तृत वर्णन किया उन्होंने कहा दान देने से धन शुद्ध होता है तथा आप जितना भी दान देते हो उसका कई गुना होकर आपको वापस मिलता है इसके साथ ही उन्होंने कथा की शुरुआत में भजन गाते हुए कहा इतनी कृपा सांवरे बनाए रखना मरते दम तक सेवा में लगाए रखना जन्म-जन्म तक तेरा मेरा साथ न छूटे। भगवान की रासलीला का उन्होंने बड़ा ही मनोहर चित्रण किया उन्होंने कहा रासलीला में कहीं भी पाप नहीं था कहीं भी काम नहीं था उसमे स्वयं काम का नाश करने वाले भगवान शिव गोपियों के भेष में शामिल हुए थे जहां शिव हैं वहां काम आ ही नहीं सकता उन्होंने कहा भगवान की रासलीला प्रभु की अमृतमय प्रेम बर्षा आशीर्वाद से भरी हुई थी साथ ही सहनशीलता को सर्वोत्तम बताते हुए उन्होंने कहा कि सहनशीलता व्यक्ति का आभूषण है उन्होंने कहा जिस घर में सहनशीलता होगी वहां झगड़ा नहीं होता। सहनशीलता आदमी को सर्वोत्तम बना देती है उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा जो पत्थर छेनी और हथौड़ी की मार सहन कर लेता है वह मूर्ति बन जाता है पूजा जाता है जो मार सहन नहीं कर पाता वह टूटकर बिखर जाता है उसका मूल्य कुछ नहीं रहता। उन्होंने विश्वास को बनाए रखने पर जोर दिया उन्होंने कहा मां-बाप अपने बच्चों पर विश्वास करते हैं तिल तिल करके, मेहनत करके उसको पडाते लिखाते हैं और वही बच्चे जब उन्हें धोखा दे देते हैं तो उनका दिल टूट जाता है और वह खून का घूंट पीकर रह जाते हैं। उन्होंने कहा बच्चों को मां-बाप का विश्वास कभी भी नहीं तोड़ना चाहिए इसके साथ ही उन्होंने रुक्मणी विवाह का प्रसंग बड़े ही मनोहर ढंग से सुनाया तथा सुदामा पर कैसे कृपा की कंस के द्वारा भेजे गए हाथी को उन्होंने कैसे मारा। साथ ही कंस का उद्धार किया व कई राक्षसों का वध किया अंत में भगवान ने द्वारका नगरी बसाई और द्वारकाधीश कहलाए भगवान अपने भक्तों को बिना मांगे वह सब कुछ दे देते हैं जिसकी वह कल्पना भी नहीं करता इसलिए अपनी डोर भगवान के हाथों में सौंप देनी चाहिए। अंत में आरती के साथ ही कथा को कल तक के लिए विश्राम दिया गया।
कथा वाचक अनिरुद्ध आचार्य ने भगवान श्रीकृष्ण और रुकमणि के दिव्य विवाह का मार्मिक वर्णन किया। उन्होंने रुक्मिणी के प्रेम संदेश, श्रीकृष्ण द्वारा रुक्मिणी का हरण और उनके विवाह के प्रसंग को भक्तिभाव से प्रस्तुत किया, जिसने श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया।इसके बाद सुदामा चरित्र का वर्णन किया गया, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण और उनके बचपन के मित्र सुदामा की अनन्य मित्रता का सुंदर चित्रण हुआ। आचार्य ने बताया कि किस प्रकार भगवान श्रीकृष्ण ने सुदामा की दरिद्रता को दूर कर उनके जीवन को सुख-समृद्धि से भर दिया।कथा के दौरान अनिरुद्ध आचार्य ने भगवान श्रीकृष्ण की अन्य लीलाओं और जीवन में धर्म, भक्ति, और सच्चे प्रेम के महत्व पर भी प्रकाश डाला। उनके ज्ञानवर्धक प्रवचनों ने श्रद्धालुओं को प्रेरित किया।बड़ी संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं ने भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति का संकल्प लिया। श्रीमद्भागवत कथा में रोजाना बढ़ रही भक्तों की संख्या ने कार्यक्रम को और भी विशेष बना दिया है।

सत्संग से समाज में फैली कुरीतियां दूर होती हैं इसलिए सत्संग में जाया करो। बच्चों को कोई ऐसा कार्य नहीं करना चाहिए जिससे उनके माता-पिता का शीश झुके,क्योंकि बच्चों के पालन पोषण में माता-पिता अपना जीवन लगा देते हैं । कथावाचक अनिरुद्धाचार्य ने श्रद्धालुओं से कहा कि आप एकजुट होकर पीएम मोदी से गो हत्या बंद कराने के लिए आवाज उठाएं। जिस तरह पीएम ने रातोंरात नोटबंदी करने का दृढ़ फैसला लिया था, ठीक उसी प्रकार सरकार संकल्प शक्ति का परिचय देते हुए गोहत्या को भी बंद कराए और गाय को राष्ट्रमाता घोषित करे। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से उन्होंने निवेदन किया तो वहां गोहत्या बंद हो गई। कहा कि आज पूरे भारत में एक राज्य महाराष्ट्र है,जहां गाय को राज्य माता का दर्जा मिला है। सरकार को बूचड़खानों का लाइसेंस रद कर गोहत्या को बंद कराना चाहिए। गोहत्या होते देखने वाले लोग भी गोहत्या के पाप के गौरी गोपा भागी होते हैं। राष्ट्र पिता महात्मा गांधी हैं,तो गोमाता को राष्ट्र माता का दर्जा क्यों नहीं दिया जा सकता है? पूर्वकाल से हम गाय के दुग्ध पीते आ रहे हैं। श्रीकृष्ण का नाम गोपाल यूं ही नहीं पड़ा। आज लोगों द्वारा गोचर की
भूमि पर अवैध कब्जा किया जा रहा है। इससे बड़ा पाप क्या हो सकता है। देश में चुनावों में टमाटर महंगा, बिजली का बिल माफ करो मुद्दा बन सकता है। लेकिन गाय को बचाने का कभी मुद्दा नही बनता। क्यों ना एक चुनाव गाय के नाम पर होना चाहिए। सभी को गाय के पक्ष में वोट करना चाहिए। आगे लिव-इन-रिलेशनशिप पर कथावाचक ने कहा कि आज काफी युवक-युवतियां लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे हैं। बाद में लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले युवक युवतियां शादियां कर लेते हैं। यह रिश्ता अधिक समय तक नहीं टिक पाता। इस रिश्ते को वह केवल वेश्यावृत्ति मानते हैं। कहा कि आज हमने भारतीय पहनावे को त्याग दिया है। हमें माथे पर तिलक लगाने में,धोती कुर्ता पहनने में व सिर पर चोटी रखने में शर्म आती है।