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देश के अमर शहीदों के नाम काव्य गोष्ठी का आयोजन

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सिकंदराबाद। काव्य मंच के बैनर तले “एक शाम शहीदों के नाम” शीर्षक से एक काव्य गोष्ठी का आयोजन आर्य समाज मन्दिर में किया गया। अध्यक्षता सुनीता सिंघल ने की तथा संचालन हिमाचल कौशिक ने किया। साधना शर्मा और सुनीता सिंघल ने माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। पंकज तायल और साधना शर्मा आदि के भजनों ने गोष्ठी को भक्तिरस से सराबोर कर दिया।
मनोज जैन ‘मानव’ ने कुछ यूँ पढ़ा कि –
कैसी बिगड़ी नौजवानी
सुनो ये मानव की ज़ुबानी
हाथ में बोतल मुँह में सिगरेट
जैसे इंजन हो तूफ़ानी
युवा कवि दिव्य हँस दीपक ने पढ़ा कि
जो बदचलन थे साहिबे किरदार हो गए
चोरों के निगहबान भी मददगार हो गए
कल क़त्ल सरे आम हमारा ही हुआ और
सब की नज़र में हम ही गुनाहगार हो गए
मशहूर शायर मक़सूद जालिब ने देश के अमर शहीदों को इस प्रकार श्रद्धांजलि अर्पित की-
मारते मारते मरे हैं,जो,
उन शहीदों को है,नमन मेरा
ज़ुल्म के सामने झुकेगा नहीं
आज मज़बूत है वतन मेरा
शिव कुमार ‘सजल’ ने
माँ को इस प्रकार याद किया- माँ के प्यार को पाकर, मैं माँ से प्यार करता हूँ।
उसकी एक आहट पर मैं सोता भाग पड़ता हूँ।।
उसको चोट जो लगती मेरा हाल क्या होता।
सौ बार जीता हूँ मैं सो बार मरता हूँ।।
वीर रस के कवि हिमाचल कौशिक ने यूँ पढ़ा कि
मेरी हस्ती भी काग़ज़ पर यूँ लिखी जाए
देश के काम देश की ये जवानी आए
जब कभी बात हो इस देश पे लुटाने की
देश के नाम मेरी जान भी लिखी जाए
काव्य मंच की अध्यक्षा सुनीता सिंहल ने पढ़ा कि
तुम कहते हो खत लिखना, प्रीत भी लिखना काग़ज़ पर
तेरे बिन दिन भी अंधियारे कैसे लिख दूँ काग़ज़ पर
सचिन सागर ने अपनी रचना यूँ प्रस्तुत की
माँ से मन्दिर, माँ से मस्जिद, दोनों की माँ एक है
उनको पाना कर्म से अपने ध्येय दोनों के एक है
माना कर्म बुरे हैं जिनके वो पीछे रह जाते हैं
हिंदू मुस्लिम एक अगर हों सारी दुनिया एक हैं
इनके अलावा साधना शर्मा ने भी अपनी रचनाएँ पढ़ कर खूब वाहवाही बटोरी।
अन्त में कार्यक्रम के संयोजक मनोज जैन मानव ने सभी का आभार प्रकट किया।

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