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भूमि अधिग्रहण विवाद: चोला क्षेत्र के किसानों ने जिलाधिकारी से मुलाकात कर भूमि अधिग्रहण मामले में न्याय की मांग की

भूमि अधिग्रहण विवाद: चोला क्षेत्र के किसानों ने जिलाधिकारी से मुलाकात कर भूमि अधिग्रहण मामले में न्याय की मांग की
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बुलंदशहर: चोला क्षेत्र के किसानों का एक प्रतिनिधिमंडल आज जिलाधिकारी से मिला और पिछले 25 वर्षों से लंबित भूमि अधिग्रहण प्रकरण को हल कराने की मांग की। किसानों का कहना है कि भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया विधि विरुद्ध तरीके से की गई थी, जिसमें उनकी सहमति नहीं ली गई और न ही जनसुनवाई का अवसर दिया गया।

भूमि अधिग्रहण विवाद: चोला क्षेत्र के किसानों ने जिलाधिकारी से मुलाकात कर भूमि अधिग्रहण मामले में न्याय की मांग की

प्रतिनिधिमंडल के संयोजक अजित सिंह दौला ने बताया कि चोला क्षेत्र के किसानों ने आज तक मुआवजा नहीं लिया है, लेकिन फिर भी उनकी जमीनों के रिकॉर्ड से उनके नाम हटा दिए गए और यूपीसीडा (उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण) के नाम चढ़ा दिए गए। इसके चलते किसान सरकारी योजनाओं, किसान सम्मान निधि, किसान क्रेडिट कार्ड, खाद-बीज, बिजली और बैंक लोन जैसी सुविधाओं से वंचित हो गए हैं, जिससे उनके जीवन पर गंभीर आर्थिक और सामाजिक प्रभाव पड़ा है।

किसानों की प्रमुख मांगें:

  1. अवैध भूमि अधिग्रहण की जांच – वर्ष 1998-99 में 10 गांवों की 2607 एकड़ भूमि अर्जित करने के लिए आपातकालीन धारा का प्रयोग किया गया, जिससे किसानों को उनकी सहमति और जनसुनवाई से वंचित रखा गया।
  2. भूमि पर किसानों का कब्जा – अधिग्रहण के बावजूद भूमि पर आज भी किसानों का ही कब्जा है, और उन्होंने अब तक मुआवजा नहीं लिया है।
  3. भूमि पुनः किसानों को लौटाई जाए – अधिग्रहण अधिनियम के अनुसार, यदि 5 वर्षों तक अर्जित भूमि पर विकास कार्य नहीं होता है, तो वह स्वतः ही रद्द हो जाना चाहिए।
  4. नए अधिनियम के तहत मुआवजा – किसान नए भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 के तहत सभी लाभों के साथ उचित मुआवजे की मांग कर रहे हैं। सर्किल रेट का चार गुना मुआवजा या बाजार मूल्य जो अधिक हो, उसे दिया जाए। जिन किसानों ने पहले मुआवजा ले लिया है, उन्हें भी नई दर के हिसाब से शेष धनराशि दी जाए।
  5. औद्योगिक विकास में सहयोग – किसानों ने स्पष्ट किया कि वे औद्योगिक विकास के विरोधी नहीं हैं, लेकिन वे न्यायसंगत मुआवजा और उचित अधिकारों की मांग कर रहे हैं।

प्रशासन की प्रतिक्रिया
जिलाधिकारी ने किसानों को आश्वासन दिया कि उनकी मांगों पर जल्द से जल्द विचार किया जाएगा और लंबित मामले का निवारण किया जाएगा। किसानों का कहना है कि मुख्यमंत्री भी लगातार लंबित मामलों को नए प्रावधानों के अनुसार हल करने का निर्देश दे रहे हैं।

प्रतिनिधिमंडल में शामिल प्रमुख किसान
प्रतिनिधिमंडल में अध्यक्ष मलखान सिंह यादव, चौधरी निरंजन सिंह, प्रकाश यादव, सुबोध कुमार, रामकैलाश प्रधान, रतन प्रधान, रौताश शर्मा, राजवीर प्रधान, अजय कुमार, सुखपाल सिंह, अरुण शर्मा, नवाब सिंह, वीरेंद्र, कैलाश, पहलाद, विजेंद्र, विजयपाल,लखी सिंह, अमर सिंह, और महकार नागर सहित अन्य किसान मौजूद थे।

चोला क्षेत्र के किसान पिछले 25 वर्षों से अहिंसात्मक आंदोलन कर रहे हैं और न्याय पाने के लिए संघर्षरत हैं। उनकी मांग है कि सरकार उनके साथ न्याय करे और नए भू-अधिग्रहण कानून के तहत उचित मुआवजा प्रदान करे ताकि वे आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त हो सकें।

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