
गौतमबुध नगर: गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट की बात करें तो यहां से चार बार अशोक प्रधान भाजपा की झोली मे जीत डाल कर केंद्र सरकार मे केबिनेट मंत्री रह चुके हैं। लेकिन प्रधान ने संसदीय क्षेत्र को एहमियत नही दी। नतीजतन भाजपा को इसका खामियाजा हार कर चुकाना पड़ा। 2009 मे बीएसपी पहली बार सुरेंद्र नागर के जरिए जीत दर्ज कर इस सीट पर काबिज हुई थी। उस समय भाजपा के डाॅ.महेश शर्मा भाजपा का जीत का सिल सिला जारी नही रख पाए थे। इसके पीछे क्षेत्र के प्रति भाजपा सांसद अशोक प्रधान की बेरूखी को प्रमुख कारण माना गया था। लेकिन 2014 मे डॉ महेश विजयी हुए ,केंद्र सरकार मे केबिनेट मंत्री बने मगर वे भी अशोक प्रधान की तर्ज पर ही चले और चंद लोगों तक समिति होकर रहे। इस दौरान शर्मा ने क्षेत्र से एक दूरी बना ली मगर 2019 मे मोदी,योगी की लोकप्रियता के चलते क्षेत्र की अनदेखी के बावजूद जनता ने दोबारा पहले से अधिक वोटों से जिताया। लेकिन दोबारा मंत्रीमंडल मे जगह नही मिली। इसके बावजूद डाॅ महेश के क्षेत्र के प्रति बेरुखे रवैये मे कोई बदलाव नही आया। जनता मे अलोकप्रियता के बाद भी भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने डॉ महेश को फिर से चुनाव मैदान मे उतारा है। इसे भाजपा का अति आत्मविश्वास कहें या कुछ और कहना मुश्किल है।
इस बार सियासत की बिसात पर जनता मौन है और बड़ी शांति से सियासी उठा पटक का नज़ारा देख रही है। फिर भी भजपा जीत के प्रति आशान्वित होकर जीत के बड़े दावे कर रही है। दूसरी ओर उसके परम्परागत वोट बैंक से कई तरह के रुझान मिल रहे हैं। जो चुनाव के समीकरण मे बदलाव के संकेत के लिए महत्वपूर्ण हैं।
