सिकंदराबाद: बुधवार की रात्रि सिकंदराबाद के मोहल्ला रिसालदारान में सूफियाना रंग और अकीदत के माहौल में हज़रत सैयदना अब्दुल क़ादिर जीलानी गैसुल आज़म रहमतुल्लाह अलैह की ग्यारहवीं शरीफ़ मनाई गई। इस मौके पर बड़ी संख्या में अक़ीदतमंदों ने शिरकत कर अपने मुर्शिद से मोहब्बत और वफादारी का इज़हार किया।
कार्यक्रम की सरपरस्ती दरगाह हाजी बाबा मिस्कीन शाह के सज्जादानशीन सैयद शाह हुसैन मिस्कीनी ने की। उन्होंने अपने पीर-ओ-मुर्शिद हज़रत सैयद फरीदुद्दीन शाह मिस्कीनी ताजी साबरी रहमतुल्लाह अलैह के लाडले पोते एवं अपने बड़े पुत्र सैयद सज्जाद हुसैन को खलीफ़ा और जाँनशीन के रूप में नामज़द किया।
बताया गया कि यह ऐलान नागपुर में हज़रत सैयद बाबा ताजुद्दीन रहमतुल्लाह अलैह के उर्स मुबारक के अवसर पर पहले ही कर दिया गया था, जिसे अब सिकंदराबाद में स्थानीय मुरीदों और अनुयायियों की मौजूदगी में औपचारिक रूप से दस्तारबंदी के ज़रिए पूरा किया गया। इस मौके पर उन्हें मुबारकबाद दी गई और दुआओं से नवाज़ा गया।
दस्तारबंदी के बाद सैयद शाह हुसैन मिस्कीनी ने फातेहा ख्वानी करवाई और फिर लंगर का वितरण किया गया।
इस मौक़े पर सूफ़ी शरीफ़ अहमद, सूफ़ी डाॅ. ज़हीर अहमद, सूफ़ी बाबुद्दीन, नेता शकील अहमद, यूसुफ खाँ, मुतीब खां, मोहम्मद सद्दीक़, आमिर ज़ैदी, हाफ़िज़ निज़ाम ग़ाज़ी, सईद ग़ाज़ी, मक़सूद जालिब, परवेज़ अहमद, इस्लाम खां, शादाब खां, जमील ग़ाज़ी, सैयद आतिफ़ मिस्कीनी, बादशाह मिस्कीनी आदि मौजूद रहे।
1 thought on “गौसे आज़म की ग्यारहवीं पर अकीदत का सैलाब, सैयद सज्जाद हुसैन मिस्कीनी बने जाँनशीन”
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क्या कहने
लाजवाब
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