इस वर्ष चैत्र नवरात्रि 30 मार्च से शुरू होकर 6 अप्रैल तक मनाई जाएगी। इस दौरान पांच विशेष योग बनने के साथ माता की सवारी हाथी होने के कारण यह नवरात्रि सुख-समृद्धि से परिपूर्ण मानी जा रही है। नवरात्रि में सर्वार्थ सिद्ध,ऐंद्र,बुद्ध आदित्य,शुक्र आदित्य और लक्ष्मी नारायण योग बनने से इसका महत्व और अधिक बढ़ गया है। हिंदू धर्म में नवरात्रि को शक्ति की पूजा और आध्यात्मिक साधना के लिए सर्वोत्तम समय माना जाता है।
इस बार 8 दिनों की होगी नवरात्रि
तिथियों में परिवर्तन के कारण इस बार नवरात्रि केवल 8 दिनों की होगी। अष्टमी और नवमी तिथि एक ही दिन पड़ने के कारण नवमी का आयोजन अष्टमी के साथ ही किया जाएगा। साथ ही, पंचमी तिथि के क्षय होने के कारण यह नवरात्रि 8 दिनों की होगी। 2 अप्रैल को चौथी और पंचमी तिथि की पूजा एक साथ होगी।
घट स्थापना का शुभ मुहूर्त
- प्रातः काल – 06:13 से 10:21 तक
- अभिजित मुहूर्त – 12:00 से 12:50 तक
कलश स्थापना की विधि
- सबसे पहले देवी-देवताओं का आह्वान करें।
- एक मिट्टी के पात्र में मिट्टी डालकर उसमें ज्वारे के बीज डालें।
- कलश में गंगाजल भरें और मौली बांधें।
- जल में सुपारी, दूर्वा घास, अक्षत और सिक्का डालें।
- आम के 5 पत्ते कलश के किनारों पर रखें और उसे ढक्कन से ढक दें।
- नारियल को लाल कपड़े या चुनरी में लपेटकर मौली बांधें।
- भूमि को शुद्ध करके ज्वारे वाला पात्र रखें, उसके ऊपर कलश स्थापित करें और नारियल रखें।
- नवरात्रि की विधिवत पूजा आरंभ करें और नौ दिनों तक जल अर्पित करें।
कलश स्थापना की सामग्री सूची
- अनाज
- मिट्टी का बर्तन
- पवित्र मिट्टी
- कलश
- गंगाजल
- आम या अशोक के पत्ते
- सुपारी
- जटा वाला नारियल
- लाल सूत्र और मौली
- इलायची, लौंग, कपूर
- रोली, अक्षत
- लाल कपड़ा और फूल
मां दुर्गा की पूजन सामग्री सूची
- आम के पत्ते
- चावल
- लाल कलावा
- गंगा जल
- चंदन
- नारियल
- कपूर
- जौ
- गुलाल
- लौंग, इलायची
- 5 पान और सुपारी
- मिट्टी का बर्तन
- फल
- श्रृंगार का सामान
- आसन
- कमलगट्टा
इस नवरात्रि, माता दुर्गा की कृपा से सुख-समृद्धि प्राप्त करने के लिए विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करें और शुभ फल प्राप्त करें।